गूगल ने आरोप लगाया है कि चीन में हैकर्स ने सैकड़ों अमरीकी अधिकारियों, सैन्य कर्मियों और पत्रकारों के निजी ईमेल को हैक कर लिया है.
अमरीकी कंपनी गूगल ने कहा है कि पासवर्ड हासिल करने का अभियान जिनान से शुरु हुआ है और इसका उद्देश्य गतिविधियों पर नज़र रखना है.
गूगल का कहना है कि उसकी सुरक्षा व्यवस्था क़ायम है लेकिन कंपनी ने संकेत दिए हैं कि कुछ व्यक्तियों के पासवर्ड धोखे से हासिल कर लिए गए.
उसका कहना है कि दूसरे एशियाई देशों में काम कर रहे राजनीतिक कार्यकर्ताओं और अधिकारियों को भी निशाना बनाया गया है.
वैसे ये पहली बार नहीं है जब गूगल ने चीन पर इस तरह के आरोप लगाए हैं पिछले साल भी इस तरह के आरोप प्रत्यारोप के बीच चीन और गूगल और फिर बाद में गूगल और अमरीका के बीच तनातनी काफ़ी बढ़ गई थी.
हमने इसका शिकार हुए लोगों को सूचना दे दी है और अब उनके ईमेल को सुरक्षित कर दिया गया है. संबंधित सरकारी अधिकारियों को भी सूचना दे दी गई है
गूगल
बुधवार को जारी अपने बयान में कंपनी ने कहा है, "गूगल ने इसका पता लगा लिया है और यूज़र्स का पासवर्ड चुरा कर उनके मेल पर नज़र रखने का अभियान रोक दिया गया है."
कंपनी ने कहा है, "हमने इसका शिकार हुए लोगों को सूचना दे दी है और अब उनके ईमेल को सुरक्षित कर दिया गया है. संबंधित सरकारी अधिकारियों को भी सूचना दे दी गई है."
वॉशिंगटन में राष्ट्रपति के कार्यालय व्हाइट हाउस ने कहा है कि वे इन ख़बरों की जाँच कर रहे हैं लेकिन वे नहीं मानते कि अमरीका के सरकारी ईमेल एकाउंट को भी भेद लिया गया है.
कैसे होता है
गूगल की ओर से जारी एक तकनीकी रिपोर्ट के मुताबिक़ इस ईमेल घोटाले में 'स्पियर फ़िशिंग' का उपयोग किया गया है.
इसमें ईमेल यूज़र्स को ऐसे वेब पेज पर लॉग-इन करने को कहा जाता है जो गूगल की जीमेल वेब सर्विस या यूज़र्स के काम से संबंधित वेब पेज की तरह दिखाई देता है. वास्तव में ये पेज हैकर की ओर से संचालित किए जाते हैं और यूज़र्स के लॉग-इन करते ही उन्हें पासवर्ड मिल जाता है.
गूगल का कहना है कि एक बार यूज़र लॉग-इन और पासवर्ड मिलने के बाद हैकर जीमेल सर्विस से कहते हैं कि वे इनकमिंग ईमेल को एक वैकल्पिक पते पर भी भेजना शुरु कर दें.
वॉशिंगटन में बीबीसी संवाददाता एडम ब्रुक्स का कहना है कि किसी भी विश्लेषक के लिए ये पता लगाना बेहद कठिन है कि इस तरह की हैकिंग के लिए कोई व्यक्ति ज़िम्मेदार है या फिर सरकार.
संवाददाता का कहना है कि जो लोग इसका शिकार हुए हैं उनमें वह लोग हैं जिनके पास संवेदनशील सूचनाएँ आती रहती हैं और इससे अंदेशा होता है कि ये साइबर अपराध का मामला कम और साइबर जासूसी का मामला अधिक है.
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